तब से,
अब तक
और तब तक
जब तक सब बदल न जाए ।
जो साँसें चल रही है,
उसकी गति मेरी न हो जाए।
बस तब तक इनको चलना है,
ताकि आख़िर तक इनको तो मुझसे शिकायत न हो।
जो मुझमे चल रही थी,
मेरे लिए,
बिना कुछ मुझसे लिए,
वो मुझ संग हँस दे बस।
उस आख़री मौके पर जब पहली बार यह मेरा साथ छोड़े,
तो मैं इससे रहने की ज़िद कर लूँ।
बस ज़िद तक।
अब तक
और तब तक
जब तक सब बदल न जाए ।
जो साँसें चल रही है,
उसकी गति मेरी न हो जाए।
बस तब तक इनको चलना है,
ताकि आख़िर तक इनको तो मुझसे शिकायत न हो।
जो मुझमे चल रही थी,
मेरे लिए,
बिना कुछ मुझसे लिए,
वो मुझ संग हँस दे बस।
उस आख़री मौके पर जब पहली बार यह मेरा साथ छोड़े,
तो मैं इससे रहने की ज़िद कर लूँ।
बस ज़िद तक।
उम्दा 👌👌👌
ReplyDelete