मैं मौन हूँ!
तुम सोच रहे होगे कि मैं मौन हूँ तो बोल कैसे रहा हूँ।
मैं बता दूँ, कि मैं ही बोलता आया हूँ, हमेशा से।
हाँ मुझमे धैर्य बहुत है,
मैं गीली जीभ से बस यूँही फिसल नहीं जाता हूँ,
या माथे से बह रहे पसीने के साथ टपक नहीं जाता हूँ।
मैं सब्र करता हूँ।
मैं इंतज़ार करता हूँ वक़्त का।
जब वक़्त आता है तो मैं टूटता हूँ।
मुझे तोड़ना कठिन है,
मुझे रखने वाला व्यक्ति मुझे साल दर साल हीरे सा तराशता है।
पर भूल जाता है कि वो मनुष्य है,
और मनुष्य तो बस प्रेम करता है।
मनुष्य ने इतिहास लिखा है प्रेम पर।
कभी किसी को गद्दी से प्रेम रहा है,
तो कभी दराजों में पड़ी रद्दी से प्रेम रहा है।
जिसको संभाला है,
बचाया है सबकी नज़रों से,
उससे प्रेम किया है।
बुरे वक़्त में मिले स्नेह से,
तोहफों से, उस दो कौड़ी के कागज़ से जिस पर किसी ने लिख दिया था कि वो इसको कभी नहीं छोड़ेगा,
मनुष्य ने इन सबसे प्रेम किया है।
तो मैं कैसे अछूता रह जाऊँ इस प्रेम से।
जिस जिस ने मुझे धारण किया उस उस ने मेरेआलिंगन में ख़ुद को तोड़ा है।
मैंने उस हँसते बोलते पुतले को अकेले में लड़ते देखा है,
मैंने उस नर्म व्यक्ति की विनम्रता को क्रोध में परिवर्तित होते देखा है।
पर उस क्रोध को मैंने विनम्रता ओढ़ते भी देखा है।
मैं balcony  में बैठा हूँ घंटों,
उस व्यक्ति को जूझते देखा है उसकी उलझनों से।
मैंने ख़ुद का भार उस पर महसूस किया है।
और लोगों को फिर बोलते भी सुना है कि अरे वो! वो चुप ही रहता है।
कौन समझाएँ इन मूर्खों को कि तूफ़ान दिख नहीं रहा तो इसका मतलब यह नहीं कि वो पल भी नहीं रहा है कहीं।
मैं रोग हूँ।
सहमो मत।
मैं प्रदूषित नहीं करता हूँ।
कदाचित ख़ुद की मात्रा बढ़ाता जाता हूँ।
मैं तब आया था जब उस पर प्रश्न उठा था,
उसकी उपस्थिति पर प्रश्न उठा था,
मैं बढ़ता चला गया प्रश्नों की तीव्रता के साथ।
जाति, धर्म, रंग, रूप, ढंग, घर-बार, रुपया, भाषा और पता नहीं क्या क्या।
क्योंकि मैं मौन था तो 'बस' नहीं कह पाया।
मैं उगता चला गया और मुझे पालने वाला मरता चला गया।
पर समझ ख़ूब थी उस व्यक्ति में,
मौन तो चुनाव था उसका।
मौन तो एक रास्ता रहा है,
युद्ध रोकने का।
लोगों के शब्दों ने प्रलोभन ख़ूब दिया मौन तोड़ने का,
पर मुझे रखने वाला मेरा कुम्हार,
मुझे बड़ी ही सावधानी से बड़ा कर रहा था।
वो कभी मुझे लिख लिया करता था,
तो कभी सोच लिया करता था।
कभी मुझे मुझसे ही बोल लिया करता था।
मैंने और लोगों के भी मौन देखे हैं।
मौन की ख़ूबी ही यही है,
इशारों में बातें लर लेते हैं भरी सभा में।
क्या है, बस चुप्पी ही तो साधनी होती है।
चुप्पी ही तो?
क्या मतलब चुप्पी ही तो?
इस कर्कश समाज में कौन है जो चुप रहना चाहता है।
पर यह था।

पर अब बहुत हुआ!
तोड़ो मुझे।
गलती है यह।
तोड़ो मुझे।
गलती पर चुप रहने वाला ग़लत होता है।
गुबार को मत भरो ख़ुद में।
तुम्हारी ज़रूरत है।
अब मुझे तोड़ दो।
तुम्हें सब पता है, तुम सब समझते हो।
तोड़ो मुझे, बिखेर दो अपने छंद सब पर।
कर दो एक कवितापाठ तुम भी।
अपनी तपस्या का आईना तो दिखाओ सबको।
जो ज़्यादा हो उसे ढोंग कहते हैं मित्र।
अब मेरा समय ख़त्म है।
मेरा कार्यकाल इतना ही था।
विदा दो मुझे।
महफ़िल में बोलो जाकर।

पर मनुष्य तो हठी है।
आदत हो गई है इसकी।
यह मौन रहता है।
चाहे हो बुज़ुर्ग का अपमान
या परायों का हाथ और स्त्री का गिरेबान,
अब यह चुप ही रहता है।
अब मुझे भय है कि मौन को लोग ढकोसला समझ बैठेंगे।
मेरे जाने का वक़्त है,मुझे जाने नहीं दे रहे हो।
ख़ुद का धर्म भूल चुके हो,
मुझे मेरा निभाने नहीं दे रहे हो।
मैं कहीं घुट कर तुममें मर न जाऊँ।
मुझे जाते जाते जीने दो,
मुझे डरा कर मत मारो।
तुम्हारी यादों का रस थोड़ा पीने दो।
ज़िद्दी मानव मानता कहाँ है,
अब वो ख़ुद की चमक को और मेरी गमक को पहचानता कहाँ है।
लगता है यहीं ख़त्म होना पड़ेगा,
अब पापी हो गया हूँ तो काशी थोड़े नसीब होगा।
इसके प्रदूषित ज़हन में ख़ुद का अंत करता हूँ,
कम से कम उसके मौन को अनंत करता हूँ।

मानव का मौन मर गया पर टूटा नहीं,
अब मौन का जनाज़ा अपने सीने में दबाए,
दीवारों से बात करते चलता है।
सब कहते हैं वो देखो पागल,
जाने कौन सी बरसात करते चलता है।
 यह तो मैं जानता था कि तूफ़ान यदि सही से न आए तो सर्वस्व नष्ट कर देता है।
 हाँ मैं मौन था।
 मुझे गर्व नहीं रहा इस बात पर।

 मेरा इतिहास ऐसा नहीं रहा है,
 मेरा टूटना पहले भला करके जाता था।
 राम ने धनुष के साथ उस सभा में मुझे भी तोड़ा था,
 तभी तो परशुराम एक उचित नतीजे पर पहुँच पाए थे।
 पर अब जिह्वा कठोर हो चली है,
 स्वेद सूख चला है।
 अब मनुष्य कठोर और मैं नर्म हो चला हूँ।
 सबको लगता है मैं बेशर्म हो चला हूँ।
 कोई तो इस प्रथा को रोक कर मुझे बचा लो,
 इतिहास तुम्हारे हाथों में है,
 सही वक़्त पर बोल पड़ो,
 एक और इतिहास रचा लो।

10 comments:

  1. शब्द नहीं है यार मेरे पास, मैं सच में मौन हो चला हूँ। अंदर की चुप्पी में बहुत शोर मचा दिया तुमने आज.....

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  2. Best till now from u keep the good work.

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  3. इसमे कोई सवाल नहीं कि यह बेमिसाल लेख है । और मेरे कुछ सवाल हैं ।

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    1. आपके पोस्ट पर कितने views मिलते हैं अभी? मेरे ब्लॉग पर तो कम आते हैं

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