tum aur main
तुम शोर नही तुम मधुरा हो।
दीवार नही, तुम मथुरा हो ।
तुम करुणा, तो मैं द्रवित नयन।
तुम मंदिर तो मैं मीरा हूँ ।
तुम नयन बनो, मैं सूरदास।
तुम रईस, मैं ही फ़कीरा हूँ ।

तुम झूठ बड़ा बतलाते हो,
सादी मूरत बन जाते हो।
तुम देखो मैं क्या करती हूँ,
मैं झूठा सा भजन एक बनती हूँ।

छवि तुम्हारी झूठी होगी,
मनन हमारा झूठा होगा।
हम तुम झूठे ही लड़ लेंगे और 
मगन यह सारा जग होगा।
इसने ही हमे यूँ अलग किया,
सारा रस इसने ही लूटा होगा ।
हाँ तुम निष्ठुर हम रूठे होंगे,
मज़ा रास का जग लेगा ।

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