Kavi Samelan by Pratishtha Mishra Blending Thoughts

मैं आज कविजनों के बीच सम्मिलित थी। उस बड़े से आँगन में सब गद्दों पर बैठे थे। मसनद पर किसी ने कुहनी टिका रखी थी तो किसी ने अपना सर। आलम ही मदहोश हो गया था, गुलफाम सा समा था, जैसे बगीचे में किसी ने मादक रस वाले फूलों के कोने में बैठाया हो और भँवरे सारा रस हम पर निचोड़ रहे हों।
ऐसा लग रहा था हर गद्दे पर एक स्वप्न सजा बैठा है, आँखों में थकी हुई चमक थी। लोग थक हार कर अपने सपने तक पहुंच ही गए थे।

वहाँ का दृश्य मनोहर और समा रमणीय था।

सब अपने सपने बाँट रहे थे, और अद्भुत तो यह बात थी कि सबके सपने घुल मिल कर तुकबंदी कर रहे थे और वहीं सामूहिक स्वप्न बनते जा रहे थे।

न ही कोई उस बैठक को कैद करने के लिए उत्सुक था न ही कोई उस बैठक का वर्णन करने की होड़ में। वह बैठक किसी समाचार से परे थी, दूरदर्शन नही, वह तो अति निकट दर्शन था जो कि यूँ ही दुर्लभ था। सब बस पलों का रसास्वादन कर रहे थे।

मैंने किसी को पुष्प बनते देखा, तो किसी को चक्की पर आटा बनकर पिसते देखा। किसी किसी की तो मृत्यु ज़ुबानी सुनी। मैंने सुना कि कभी किसी ने कोयल को कैद कर लिया था, तो कभी कोई हथेली पर मयंक लेकर बैठा था। किसी किसी ने तो मुझे बताया कि वह कैसे कृष्ण से अल्लाह और फिर ईशु हुआ था। कोई कोई तो सरहद पर फ़ना होकर आया था। किसी किसी की पूरी जीवन शैली नदी के किनारे पत्थरों पर लिखी थी। कुछ तो समुद्र में लहर बनकर गोते खा रहे थे, कुछ सिर्फ बिस्तर पर कश लगा रहे थे।
काफियों ने उम्र का तक़ाज़ा किया और काफ़ी जनता ने बस खुद को दिलासा दिया। एक बांझ ने वहीं बैठे बैठे पुत्र खो दिया, एक लंगड़ा चारो धाम हो आया। अंधे ने मुझे दुनिया का हर रंग बता दिया। एक मूक ने मुझे शब्दों पर नाच के दिखा दिया।

एक नास्तिक ने मुझे साईं का अस्तित्व बताया और एक आस्तिक ने अस्तित्व का तकनीकी तत्व बताया। वहाँ बचपन बूढ़ा हो गया था, और बुढ़ापा तो जैसे रंगीन। सारा ज्ञान तितर बितर हो गया था। सब वहीं था, यथार्थ, प्रारब्ध, सत्य सब कुछ वहीं स्थापित।

और इन सब कहानियों से पनपता हुआ था मेरा छोटा सा सपना। बचपन यूँ यौवन में हिचकोले मार रहा था जैसे छोटी सी नदी की मछली को समुद्र में फेंका हो किसीने। पर अब मेरे पास चारा ही क्या है। सीख लेंगे तैरना भी और पारंगत भी हो लेंगे। बिकेंगे हम भी कभी सपने बन कर महफ़िल और क़िताबों में। और महफ़िल हमारी भी सजेगी आगे की पीढ़ी की बातों में।

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